लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

268 पाठक हैं

मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ

 

संसार की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली नारी सदैव समाज के केन्द्र में रही है। और उसने हमेशा अपने कार्य से सबको मंत्रमुग्ध करके समाज में अपनी एक अलग पहचान बना कर रखी है। इसलिए प्राचीन काल से लेकर आज तक सदैव नारी पूजनीय रही है।

 

कवि नवलपाल प्रभाकर का यह दूसरा कविता संग्रह नारी की व्यथा प्रकाशित हो रहा है। इसमें 113 रूबाईयां हैं। जिनके माध्यम से कवि ने नारी के हर पहलू को बखूबी दिखाने का प्रयास किया है। इसमें नारी की व्यथा तथा उसके बहुआयामी चरित्र पर प्रकाश डाला गया है।

 

- मधुकांत
प्रज्ञा साहित्य मंच
सांपला

 

अनुक्रम

 

 

Next...

प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai